1. औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुगल शासकों के गद्दी पर बैठने का सही कालानुक्रम कौन-सा है |
(A) |
फर्रुखसियर → शाह आलम द्वितीय → बहादुरशाह प्रथम → जहाँदारशाह |
(B) |
जहाँदारशाह → फर्रुखसियर → शाह आलम द्वितीय → बहादुरशाह प्रथम |
(C) |
बहादुरशाह प्रथम → जहाँदारशाह → फर्रुखसियर → शाह आलम द्वितीय |
(D) |
शाह आलम द्वितीय → बहादुरशाह प्रथम → जहाँदारशाह → फर्रुखसियर |
Answer: (C)
व्याख्याः
- औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उसके उसके पुत्रों के मध्य गद्दी के लिये संघर्ष हुआ, जिसमें 65 वर्षीय बहादुरशाह विजयी रहा , तथा 1707 से 1712 की अवधि तक शासन किया।
- बहादुरशाह के पुत्र जहाँदारशाह ने तत्कालीन शक्तिशाली अमीर जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी। यह अयोग्य शासक था तथा इतिहासकारों द्वारा उसे ‘लम्पट मूर्ख’ कहते थे।
- जहाँदारशाह को परास्त कर 1713 में उसका भतीजा फर्रुखसियर (सैयद बंधुओं की सहायता से) गद्दी पर बैठा। सैयद बंधुओं ने फर्रुखसियर की सत्ता पाने में सहायता की थी और बाद में उन्होंने ही उसकी हत्या कर दी एवं 18 वर्षीय मुहम्मदशाह को गद्दी पर बैठा दिया।
- शाह आलम द्वितीय 1759 में गद्दी पर बैठा था।
2. निम्नलिखित में से किस मुगल बादशाह के समय नादिरशाह का आक्रमण हुआ था?
(A) |
मुहम्मदशाह |
(B) |
फर्रुखसियर |
(C) |
बहादुरशाह प्रथम |
(D) |
औरंगज़ेब |
Answer: (A)
व्याख्याः
- नादिरशाह का आक्रमण (1738-39) मुहम्मदशाह के समय हुआ था। मुहम्मद शाह प्रशासन के प्रति उदासीन तथा मदिरा और सुंदरी के प्रति अत्यधिक रुचि रखता था, जिस कारण लोग उसे ‘रंगीला’ कहा करते थे। उसके शासनकाल में हिजड़ों तथा महिलाओं के वर्ग का प्रभुत्व हो गया था।
- मयूर सिंहासन पर बैठने वाला यह अंतिम शासक भी था।
3. मुगल शासक जहाँदारशाह के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. जहाँदारशाह ने जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी।
2. उसके समय जज़िया समाप्त किया गया।
3. इसके शासनकाल में आमेर के शासक जयसिंह को मिर्ज़ा राजा सवाई की पदवी दी गई।
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही है ?
(A) |
केवल 1 |
(B) |
केवल 1 और 3 |
(C) |
केवल 2 और 3 |
(D) |
1, 2 और 3 |
Answer: (D)
व्याख्याः
- जहाँदारशाह ने तत्कालीन सबसे शक्तिशाली शासक जुल्फिकार खाँ की सहायता से गद्दी प्राप्त की थी।
- जहाँदारशाह के समय जुल्फिकार खाँ वज़ीर बना और साम्राज्य को बचाने के लिये अनेक कदम उठाए। इसी क्रम में घृणित जज़िया को समाप्त किया गया, आमेर के जयसिंह को मिर्ज़ा राजा सवाई की पदवी दी गई और उन्हें मालवा का सूबेदार बना दिया गया।
4. निम्नलिखित में से मुगल काल में ‘इज़ारेदार’ किससे संबंधित है?
(A) |
लगान वसूलने वाला ठेकेदार |
(B) |
राजस्व तय करने वाले अधिकारी |
(C) |
ऋण का लेखा-जोखा रखने वाले अधिकारी |
(D) |
भूमि का सीमांकन करने वाले अधिकारी |
Answer: (A)
व्याख्याः
- इज़ारेदार उन्हें कहते थे जिससे शासक द्वारा लगान वसूलने का करार किया जाता था। इस व्यवस्था को इज़ारेदारी कहते हैं। इसमें निश्चित दर पर भू-राजस्व वसूल करने के बदले शासक इज़ारेदारों (लगान के ठेकदारों) और बिचौलियों के साथ यह करार करते थे कि वे शासक को एक निश्चित मुद्रा राशि लगान के रूप में दें। मगर वे किसानों से जितना लगान वसूल कर सकें उतना करने के लिये उन्हें आज़ाद छोड़ दिया जाता था। इससे किसानों का उत्पीड़न बढ़ा।
- हालाँकि मुगलों द्वारा इस व्यवस्था को नापसंद किया गया फिर भी जहाँदार शाह के काल में इसे बढ़ावा दिया गया।
5. नादिरशाह के आक्रमण के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(A) |
नादिरशाह भारत के प्रति यहाँ के अपार धन के कारण आकर्षित हुआ था। |
(B) |
मुगल फौजों से उसका मुकाबला करनाल में हुआ। |
(C) |
भारत में लूट से प्राप्त धन के कारण उसने अपने राज्य (ईरान) में तीन सालों तक कोई कर नहीं लगाया। |
(D) |
उसने शाहजहाँ के रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्ते-ताऊस) को नष्ट कर दिया और प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा अपने साथ ले गया। |
Answer: (D)
व्याख्याः
- नादिरशाह भारत के प्रति यहाँ के अपार धन के कारण आकर्षित हुआ था। निरंतर अभियानों ने फारस को वस्तुतः दिवालिया बना दिया था। अतः उसे फौज के रख-रखाव के लिये धन की आवश्यकता थी।
- मुगल फौज से 13 फरवरी, 1739 को उसका मुकाबला हुआ, जिसमें मुगल सेना बुरी तरह परास्त हुई। इसके बाद नादिरशाह ने राजधानी में भयंकर कत्लेआम और लूटपाट की। अनुमानतः उसने कुल मिलाकर 70 करोड़ रुपए का माल लूटा। उसने अपने राज्य में तीन सालों तक बिल्कुल कोई कर नहीं लगाया।
- वह प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा तथा शाहजहाँ का रत्नजड़ित मयूर सिंहासन (तख्ते-ताऊस) भी साथ ले गया था। अतः कथन (d) सही नहीं है। नादिरशाह ने मुहम्मदशाह को सिंधु नदी के पश्चिम के साम्राज्य के इलाकों को उसे दे देने के लिये मजबूर भी किया।
6. शाह आलम द्वितीय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. इसे अपने वज़ीर से जान का खतरा था, जिस कारण अपने शासन के आरम्भिक वर्षों में यह राजधानी से दूर ही रहा।
2. इसे बक्सर की लड़ाई के बाद कंपनी का पेंशनयाफ्ता बनकर इलाहाबाद में रहना पड़ा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही हैं?
(A) |
केवल 1 |
(B) |
केवल 2 |
(C) |
1 और 2 दोनों |
(D) |
न तो 1 और न ही 2 |
Answer: (C)
व्याख्याः
- शाह आलम द्वितीय को अपने वज़ीर से जान का खतरा था, अतः ये अपने शासन के आरंभ के वर्षों में अपनी राजधानी से दूर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमता रहा।
- उसने 1764 में बंगाल के मीर कासिम और अवध के शुज़ाउद्दौला के साथ मिलकर अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बक्सर की लड़ाई में हिस्सा लिया, इसमें अंग्रेज़ों से हार जाने के बाद वह कई वर्षों तक इलाहाबाद में ईस्ट इंडिया कंपनी का पेंशनयाफ्ता बनकर रहा। वह 1772 में मराठों के संरक्षण में ब्रिटिश आश्रय छोड़कर दिल्ली लौटा, परंतु अंग्रेज़ों ने 1803 में दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया। तब से लेकर 1857 तक जब मुगल वंश अंतिम रूप से खत्म हो गया, मुगल बादशाह अंग्रेज़ों के लिये केवल राजनीतिक मोहरा बने रहे।
7. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये |
1. निज़ाम-उल-मुल्क स्वयं मुगल वज़ीर का अपना ओहदा छोड़कर दक्कन चला गया।
2. अहमदशाह अब्दाली ने पानीपत की तीसरी लड़ाई में मुगल सेना को परास्त किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही हैं?
(A) |
केवल 1 |
(B) |
केवल 2 |
(C) |
1 और 2 दोनों |
(D) |
न तो 1 और न ही 2 |
Answer: (A)
व्याख्याः
- बादशाह मुहम्मदशाह के ढुलमुलपन तथा शक्की मिजाज और दरबार में निरंतर झगड़ों से ऊबकर मुगल वज़ीर निज़ाम-उल-मुल्क ने अपना पद त्याग कर अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने का फैसला लिया। वह 1722 में वज़ीर बना था और अक्तूबर 1724 में अपना पद त्यागकर दक्कन में हैदराबाद रियासत की नींव डालने दक्षिण चला गया। अतः कथन (1) सही है।
- अहमदशाह अब्दाली नादिरशाह के सबसे काबिल सेनापतियों में से एक था। उसने मुगल साम्राज्य में (खासकर दिल्ली-मथुरा) कई बार लूट-पाट की। उसने अपने स्वामी के मरने के बाद अफगानिस्तान पर अपनी सत्ता कायम करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। उसने 1761 में मराठों को पानीपत की तीसरी लड़ाई में हराया। इस हार से मराठों की इस महत्त्वाकांक्षा को बड़ा धक्का लगा कि वे मुगल बादशाह पर नियंत्रण रखेंगे और देश पर आधिपत्य कायम करेंगे। अतः कथन (2) गलत है।
8. निम्नलिखित में से कौन मुगल साम्राज्य का अंतिम बादशाह था |
(A) |
शाह आलम द्वितीय |
(B) |
बहादुरशाह द्वितीय |
(C) |
मुहम्मदशाह |
(D) |
इनमें से कोई नहीं। |
Answer: (B)
व्याख्याः
- बहादुरशाह द्वितीय अथवा बहादुरशाह ज़फर (1837-1857) अंतिम मुगल सम्राट था। इसके पिता का नाम अकबरशाह द्वितीय (1806-1837) था।
9. निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(A) |
हैदराबाद की स्थापना निज़ाम-उल-मुल्क की थी। |
(B) |
निज़ाम-उल-मुल्क ने केंद्रीय मुगल सत्ता से अपनी स्वतंत्रता की खुलेआम घोषणा की। |
(C) |
इसने दक्कन में स्थापित अपने राज्य में मुगलों के नमूने पर जागीरदारी प्रथा चलाई। |
(D) |
इसकी मृत्यु के बाद कर्नाटक के नायब सूबेदार ने स्वयं को दक्कन के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कर अपने पद को वंशानुगत बना दिया। |
Answer: (B)
व्याख्याः
- निज़ाम-उल-मुल्क आसफजाह ने 1724 में हैदराबाद राज्य की स्थापना की। उसको दक्कन के वायसराय का खिताब प्राप्त हुआ था।
- उसने केंद्रीय सरकार से अपनी स्वतंत्रता की खुलेआम घोषणा कभी नहीं की, मगर उसने व्यवहार में स्वतंत्र शासक के रूप में काम किया। अतः कथन (b) गलत है।
- उसने दक्कन में मुगलों के नमूने पर जागीरदारी प्रथा चलाकर सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित कर अपनी सत्ता को मज़बूत बनाया।
- कर्नाटक, मुगल दक्कन का एक सूबा था और इस तरह हैदराबाद के निज़ाम के अधिकार के अंतर्गत आता था। मगर व्यवहार में जिस प्रकार निज़ाम दिल्ली की सरकार से स्वतंत्र हो गया था, उसी प्रकार निज़ाम-उल-मुल्क की मृत्यु के बाद कर्नाटक का नायब सूबेदार, जिसे कर्नाटक का नबाव कहा जाता था, अपने को दक्कन के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कर अपने ओहदे को वंशागत बना दिया।
10. बंगाल के नवाबों का सही कालक्रम निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(A) |
शुज़ाउद्दीन → मुर्शिद कुली खाँ → अलीवर्दी खाँ → सिराजउद्दौला |
(B) |
मुर्शिद कुली खाँ → शुज़ाउद्दीन → अलीवर्दी खाँ → सिराजउद्दौला |
(C) |
मुर्शिद कुली खाँ → अलीवर्दी खाँ → शुज़ाउद्दीन → सिराजउद्दौला |
(D) |
अलीवर्दी खाँ → मुर्शिद कुली खाँ → सिराजउद्दौला → शुज़ाउद्दीन |
Answer : (B)
व्याख्याः
- मुर्शिद कुली खाँ को 1717 में बंगाल का सूबेदार बनाया गया, मगर वह उसका वास्तविक संस्थापक 1700 से ही था।
- 1727 में मुर्शिद कुली खाँ की मृत्यु के बाद उसके दामाद शुज़ाउद्दीन ने बंगाल पर 1739 तक शासन किया। उसकी जगह पर उसका बेटा सरफराज़ खाँ आया, जिसे उसी साल गद्दी से हटाकर अलीवर्दी खाँ नवाब बन गया।
- सिराजउद्दौला अलीवर्दी खाँ का उत्तराधिकारी था।
11. मुगलकालीन ‘तकावी ऋण’ के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है |
(A) |
यह खेती के विस्तार एवं बेहतरी के लिये राज्य की ओर से दिया जाता था। |
(B) |
यह व्यापार को बढ़ावा देने के लिये राज्य द्वारा व्यापारियों को दिया जाता था। |
(C) |
यह सेना के सुदृढ़ीकरण के लिये राज्य की ओर से मनसबदारों को दिया जाता था। |
(D) |
यह युद्ध की स्थिति में राज्य द्वारा साहूकारों से लिया गया ऋण था। |
Answer: (A)
व्याख्याः
तकावी ऋण मुख्य रूप से मुगलकाल में खेती के विस्तार और बेहतरी के लिये राज्य की ओर से दिया जाने वाला ऋण है। इससे गरीब खेतिहरों को अकाल, सूखे व बाढ़ जैसी विपरीत परिस्थितियों से उबरने में सहायता मिलती थी। साथ ही यह उन्हें समय पर भू-राजस्व देने के लिये समर्थ बनाने का राज्य का एक प्रयास भी था।
12. मुगल साम्राज्य के पतन के समय अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक निम्नलिखित में से कौन था?
(A) |
सफदर जंग |
(B) |
अलीवर्दी खाँ |
(C) |
सआदत खाँ |
(D) |
शुज़ाउद्दौला |
Answer: (C)
व्याख्याः
- मुगल साम्राज्य के पतन के समय अवध के स्वायत्त राज्य का संस्थापक सआदत खाँ ‘बुरहान-उल-मुल्क’ था। इसके बाद उसकी जगह उसके भतीजे सफदर जंग ने ली। सफदर जंग के बाद शुज़ाउद्दौला अवध का नवाब बना और अलीवर्दी खाँ बंगाल का नवाब था।
13. हैदरअली के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये
1. वह अशिक्षित था।
2. वह एक कुशल प्रशासक था।
3. उसने फ्राँसीसियों की सहायता से डिंडिगुल में एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया।
4. द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध में उसने अंग्रेज़ों को बुरी तरह पराजित किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं|
(A) |
केवल 1 और 2 |
(B) |
केवल 1, 2 और 3 |
(C) |
केवल 1, 2 और 4 |
(D) |
केवल 2, 3 और 4 |
Answer: (B)
व्याख्याः
- दक्षिण भारत में हैदराबाद के पास हैदरअली के अधीन मैसूर का उदय हुआ।
- हैदरअली पढ़ा-लिखा न होने के बावजूद बहुत ही कुशल प्रशासक था। अपने राज्य में मुगल शासन प्रणाली तथा राजस्व व्यवस्था उसी ने लागू की थी।
- वर्ष 1755 में डिंडिगुल में उसने एक आधुनिक शस्त्रागार स्थापित किया। इसमें उसने फ्राँसीसी विशेषज्ञों की मदद ली।
- उसने 1769 में अंग्रेज़ी फौजों को बार-बार हराया और मद्रास के पास तक पहुँच गया, परंतु द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान 1782 में वह मारा गया। उसके स्थान पर उसका बेटा टीपू गद्दी पर बैठा।
14. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. समय के साथ बदलने की उसकी इच्छा के प्रतीक थे- एक नए कैलेंडर को लागू करना, सिक्का ढलाई की नई प्रणाली काम में लाना तथा माप-तौल के नए पैमानों को अपनाना।
2. उसकी एक अत्यंत प्रिय उक्ति थी कि “एक शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है, लेकिन भेड़ की तरह लंबी ज़िंदगी जीना अच्छा नहीं है।”
उपर्युक्त कथन किस शासक से संबंधित हैं?
(A) |
टीपू सुल्तान |
(B) |
हैदरअली |
(C) |
अलीवर्दी खाँ |
(D) |
सआदत खाँ |
Answer: (A)
व्याख्याः
- उपर्युक्त दोनों ही विशेषताएँ टीपू सुल्तान के विषय में हैं। अतः वह समय के साथ चलने वाला बहादुर और निर्भीक शासक था।
15. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिये तथा नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनियेः
सूची-I
(क्षेत्र) |
सूची-II
(शासक) |
A. त्रावणकोर राज्य |
1. राजा मार्तंड वर्मा |
B. आमेर |
2. जय सिंह |
C. जाट राज्य |
3.सूरजमल |
D. रुहेलखंड |
4. अली मुहम्मद खाँ |
कूटः
A B C D
(A) |
1 2 3 4 |
(B) |
2 3 4 1 |
(C) |
3 4 1 2 |
(D) |
4 1 2 3 |
Answer: (A)
व्याख्याः
- 1729 के बाद अठारहवीं सदी में एक अग्रणी राजनेता राजा मार्तंड वर्मा के नेतृत्व में त्रावणकोर राज्य खड़ा हुआ। राजा मार्तंड ने डच लोगों को हराकर केरल में उनकी राजनीतिक सत्ता खत्म कर दी। सदी के उत्तरार्द्ध में त्रावणकोर की राजधानी त्रिवेंद्रम संस्कृत विद्वता का एक प्रसिद्ध केंद्र बन गई। मार्तंड वर्मा का उत्तराधिकारी राम वर्मा था जो स्वयं कवि, विद्वान, संगीतज्ञ, प्रसिद्ध अभिनेता और सुसंस्कृत व्यक्ति था।
- आमेर का सवाई जयसिंह (1681-1743) अठारहवीं सदी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक था। वह विख्यात राजनेता, महान खगोलशास्त्री तथा समाज सुधारक था। उसने जाटों से लिये गए इलाके में जयपुर शहर की स्थापना की और उसे विज्ञान एवं कला का महान केंद्र बना दिया। उसने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन और मथुरा में पर्यवेक्षणशालाएँ बनाईं। उसने युक्लिड की ‘रेखागणित के तत्त्व’ तथा त्रिकोणमिति की बहुत सी कृतियों और लघुगणकों को बनाने और उनके इस्तेमाल संबंधी नेपियर की रचना का अनुवाद संस्कृत में कराया।
- खेतिहरों की एक जाति जाट है। जाट दिल्ली, आगरा और मथुरा के इर्द-गिर्द के इलाके में रहते थे। औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद जाटों द्वारा किया गया विद्रोह ज़मींदारों के नेतृत्व में मूलतः एक कृषक विद्रोह था, मगर जल्दी ही वह लूटमार तक सीमित हो गया। भरतपुर के जाट राज्य की स्थापना चूरामन और बदन सिंह ने की। जाट सत्ता सूरजमल के नेतृत्व में अपनी उच्चतम गरिमा पर पहुँची। सूरजमल ने 1756 से 1763 तक शासन किया।
- नादिरशाह के आक्रमण के बाद प्रशासन के ठप हो जाने पर अली मुहम्मद खाँ ने रुहेलखंड नामक राज्य स्थापित किया। यह राज्य दक्षिण में हिमालय की तराई में स्थित गंगा और उत्तर में कुमायूँ की पहाड़ियों तक फैला हुआ था। इसकी राजधानी पहले बरेली में आंवला थी और बाद में रामपुर बनी।
16. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक ने की।
2. सिखों को लड़ाकू समुदाय के रूप में बदलने का काम गुरु हरगोविंद ने शुरू किया।
3. अपने आखिरी गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में सिख एक राजनीतिक और फौजी ताकत बने।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा सही हैं
(A) |
केवल 1 और 2 |
(B) |
केवल 2 |
(C) |
केवल 1 और 3 |
(D) |
1, 2 और 3 |
17. महाराजा रणजीत सिंह के संबंध में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये |
1. इन्होंने सतलुज नदी के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर पंजाब में अपना राज्य कायम किया।
2. इन्होंने जीते हुए क्षेत्रों में मुगल भू-राजस्व व्यवस्था के स्थान पर एक नई व्यवस्था आरंभ की।
3. इनकी फौज में केवल सिख लोग ही शामिल थे।
उपरोक्त में से कौन-सा कथन सत्य हैं?
(A) |
केवल 1 |
(B) |
केवल 2 और 3 |
(C) |
केवल 3 |
(D) |
1, 2 और 3 |
Answer: (A)
व्याख्याः
- प्रथम कथन सत्य है। 18वीं सदी के अंत में सुकेरचकिया मिसल के प्रधान रणजीत सिंह ने प्रमुखता प्राप्त कर ली थी। वह एक ताकतवर, साहसी सैनिक, कुशल प्रशासक तथा चतुर कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1799 में लाहौर तथा 1802 में अमृतसर पर कब्ज़ा कर लिया था। उन्होंने सतलुज नदी के पश्चिम के सभी सिख प्रधानों को अपने अधीन कर लिया और पंजाब में अपना राज्य कायम किया।
18. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये |
1. रणजीत सिंह ने पंजाब को पूर्णतः सिख राज्य में तब्दील कर दिया था।
2. 19 वीं सदी के आरंभ में अंग्रेज़ों द्वारा सतलुज नदी के पूर्व के सिख राज्यों को अपने संरक्षण में लेने का रणजीत सिंह ने सशस्त्र संघर्ष के द्वारा विरोध प्रकट किया।
उपरोक्त में से कौन-सा कथन सत्य हैं
(A) |
केवल 1 |
(B) |
केवल 2 |
(C) |
1 और 2 दोनों |
(D) |
न तो 1 और न ही 2 |
Answer: (D)
व्याख्याः
- रणजीत सिंह धर्म के मामले में सहनशील तथा उदारवादी थे। वे न केवल सिख बल्कि मुसलमान संतों को भी आदर, सम्मान और संरक्षण देते थे। धर्मपरायण सिख होते हुए भी यह कहा जाता है। कि वे ‘अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैर की धूल अपनी लंबी सफेद दाढ़ी से झाड़ते थे।’ वस्तुतः किसी भी दृष्टि से रणजीत सिंह द्वारा शासित पंजाब एक सिख राज्य नहीं था।
- जब 1809 में अंग्रेज़ों ने रणजीत सिंह को सतलुज नदी पार करने से मना कर दिया और नदी के पूरब के सिख राज्यों को अपने संरक्षण में ले लिया, तब उन्होंने चुप्पी साध ली, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि उनके पास अंग्रेज़ों से मुकाबला करने की शक्ति नहीं है। इस प्रकार उन्होंने अपने राज्य को अंग्रेज़ों के अतिक्रमण से बचा लिया। मगर वह विदेशी खतरे को हटा नहीं सके तथा उस खतरे को अपने उत्तराधिकारियों के लिये छोड़ दिया।
19. शिवाजी के पोते साहू और कोल्हापुर में रहने वाली उसकी चाची ताराबाई के बीच हुए गृहयुद्ध ने मराठा शासन में एक नई व्यवस्था को जन्म दिया। इस व्यवस्था के तहत मराठा साम्राज्य में कौन-सा परिवर्तन दिखाई देता है-
(A) |
मुगल संपूर्ण मराठा क्षेत्रों से जज़िया कर वसूलने लगे। |
(B) |
पेशवा मराठा साम्राज्य के कार्यकारी प्रधान बन गए। |
(C) |
मराठा साम्राज्य में मनसबदारी प्रथा का आरंभ हुआ। |
(D) |
मराठा साम्राज्य में सैनिकों को कर रहित भूमि प्रदान की जाने लगी। |
Answer: (B)
व्याख्याः
- शिवाजी के पोते साहू को जब 1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद रिहा किया गया, तब जल्दी ही उसके और कोल्हापुर में रहने वाली उसकी चाची ताराबाई के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया। इस झगड़े के फलस्वरूप मराठा शासन में एक नई व्यवस्था ने जन्म लिया जिसका नेता राजा साहू का पेशवा बालाजी विश्वनाथ था। इस परिवर्तन के साथ मराठा इतिहास में पेशवा आधिपत्य का नया काल प्रारंभ हुआ, जिसमें मराठा राज्य एक साम्राज्य के रूप में बदल गया। वस्तुतः बालाजी विश्वनाथ तथा उनका बेटा बाजीराव प्रथम ने पेशवा को मराठा साम्राज्य का कार्यकारी प्रधान बना दिया।
20. निम्नलिखित में से औरंगज़ेब का मकबरा कहाँ स्थित है |
(A) |
खुलदाबाद |
(B) |
आगरा |
(C) |
फतेहपुर सीकरी |
(D) |
दिल्ली |
Answer: (A)
व्याख्याः
- औरंगज़ेब का मकबरा – खुलदाबाद (महाराष्ट्र)
- एतमादुद्दौला का मकबरा – आगरा
- शेख सलीम चिश्ती का मकबरा – फतेहपुर सीकरी
- अब्दुर्रहीम खानखाना का मकबरा – दिल्ली
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